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द्रव्य १०० आया। २७२. प्रश्न : अन्य गुण हानियों का द्रव्य किस प्रकार निकलता
उत्तर : अन्तिम गुण हानि के द्रव्य को प्रथम गुण हानि तक दूना
दूना करने से अन्य गुण हानियों का द्रव्य निकलता है।
जैसे २००, ४००, ८००, १६००, ३२०० । २७३. प्रश्न : प्रत्येक गुण हानि के प्रथमादि समयों का द्रव्य किस
प्रकार निकलता है ? उत्तर : गुण हानि आयाम से दूरे परिमाण रूप निषेकहार में चय
का गुणा करने से प्रत्येक गुण हानि के प्रथम समय के द्रव्य का परिमाण निकलता है और उसमें से एक-एक चय घटाने से आगे आगे के समयों के द्रव्य का परिमाण निकलता है। जैसे ऊपर के दृष्टान्त में नाना गुण हानि आयाम का परिमाण ८ था उससे दूने १६ निषेकहार का परिमाण हुआ। अतः निषेकहार १६ में चय ३२ का गुणा करने पर प्रथम गुण हानि के प्रथम समय का द्रव्य ५१२ होता है। इसमें से एक एक चय बत्तीस बत्तीस घटाने से द्वितीयादि समयों के द्रव्य का परिमाण क्रम से ४८०, ४४८, ४१६, ३८४, ३५२, ३२०, २८८, निकलता
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