________________ . पृष्ठ 116 की टिप्पणी१. नोट- यह सर्व सत्त्व त्रिभंगी विषयक कथन क्षपक श्रेणी की अपेक्षा किया है। उपशम श्रेणी की अपेक्षा छटें गुणस्थान तक वही बात है तथा सातये से शेवः शन्त कषाय गुणस्थान तक के प्रत्येक गुणस्थान में असत्त्व प्रकृति '2' सत्त्व प्रकृति "146" तथा सत्त्व व्युच्छित्ति प्रकृति '' कहना चाहिए। यह कथन भी उस मत की अपेक्षा है जो द्वितीयोपशम सम्यक्त्व में अनन्तानुबन्धी की विसंयोजना का नियम स्वीकार नहीं करता है। (120)