Book Title: Karananuyoga Part 2 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 123
________________ वित्र' सत्त्व त्रिभंगी सत्त्व योग्य १५८ । सत्त्व | असत्त्व | सत्व व्युच्छित्ति गुणस्थान १४८ १४५ १४७ १४८ ] ० १४७ १४६ १४६ १३८ ६] भाग १३८ ६॥ भाग १२२ ६JI भाग ११४ EIV भाग ११३ ११२ EV भाग टिप्पणी १ पृष्ठ.१२० पर देखिये । (११)Page Navigation
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