Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 120
________________ ६. सुषम सुषमा (४ कोड़ाकोड़ी सागर)। २६६. प्रश्न : अवसर्पिणी काल किसे कहते है? उत्तर : जिसमें जीवों की आग, बल बुद्धि तथा # . अवगाहना आदि में क्रम से हानि होती रहे उसे अवसर्पिणी काल कहते हैं। २६७. प्रश्न : अवसर्पिणी काल के कितने भेव है? उत्तर : छह हैं-१. सुषम सुषमा, २. सुषमा, ३. सुषमा दुःषमा, ४. दुःषम सुषमा, ५.दुःषम सुषमा, ६. अति दुःषमा। इनके काल का प्रमाण उत्सर्पिणी के छह कालों के समान २६८. प्रश्न : पूर्व किसे कहते हैं ? उत्तर : चौरासी लाख पूर्वागों का एक पूर्व होता है। २६६. प्रश्न : पूर्वाग किसे कहते है ? उत्तर : चौरासी लाख वर्षों का एक पूोग होता है। ३००. प्रश्न : पूर्वकोटि किसे कहते है ? उत्तर : एक पूर्व में एक करोड़ का गुणा करने से लब्ध आये उसे एक पूर्व कोटि कहते हैं। ।। इति पंचमाधिकारः समाप्तः।।

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