Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

Previous | Next

Page 113
________________ २६६. प्रश्न : नाना गुणहानि किसे कहते हैं ? उत्तर : गुण हानियों के समूह को नाना गुणहानि कहते हैं। जैसे ऊपर के दृष्टान्त में आठ-आठ समय की ६ गुण हानियाँ हैं। यही ६ संख्या नाना गुण हानि का परिमाण है। २७०. प्रश्न : अन्योन्याभ्यस्त राशि किसे कहते है ? उत्तर : नाना गुण हानियों का जितना प्रमाण है उतनी जगह दो-दो लिखकर अन्योन्य-परस्पर गुणा करने से जो राशि लब्ध हो उसे अन्योन्याभ्यस्त राशि कहते हैं। जैसे ऊपर के दृष्टान्त में नाना मुग शानिने का प्रयास है स्तः ६ जगह दो दो लिख परस्पर गुणा करने से ६४ होते है। २ x २ ४२ x २ x २ x २=६४ यही अन्योन्याभ्यस्त राशि २७१. प्रश्न : अन्तिम गुण हानि का द्रव्य निकालने की विधि क्या है ? उत्तर : एक कम अन्योन्याभ्यस्त राशि का समय प्रबद्ध के प्रमाण में भाग देने से अन्तिम गुण हानि का द्रव्य निकलता है। जैसे ऊपर के दृष्टान्त में अन्योन्याभ्यस्त का प्रमाण ६४ है उसमें १ कम करने पर ६३ रहे। इनका समय प्रबद्ध के प्रमाण ६३०० में भाग देने से अन्तिम गुण हानि का. . (१०८)

Loading...

Page Navigation
1 ... 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125