Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

Previous | Next

Page 41
________________ १२२. प्रश्न : घातिया कर्मों के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो भेद हैं १. देशधाति और २, सर्वघाति। १२३. प्रश्न : देशघाति किसे कहते हैं ? और वे कौन कौन हैं . उत्तर : जो जीव के गुणों का एक देशघात करें अर्थात् जिनका उदय रहते हुए भी गुण कुछ अंशों में प्रकट रहें उन्हें देशघाति कर्म कहते हैं। १. मति ज्ञानावरण २. श्रुत ज्ञानावरण ३. अवधि ज्ञानावरण, ४. मनःपर्यय ज्ञानावरण, ५. चक्षुर्दर्शनावरण, ६. अचक्षुर्दशनावरण, ७. अवधि दर्शनावरणं, ८. सम्यक्त्व प्रकृति, ६. संज्वलन क्रोध १०, संचलन मान ११. संज्वलन माया १२. संज्वलन लोभ, १३. हास्य, १४. रति १५. अरति १६. शोक १७. भय १८. जुगुप्ता १६. स्त्री वेद, २०. पुरुष वेद, २१. नपुंसक वेद, २२. दानान्तराय २३. लाभान्तराय २४. भोगान्तराय, २५. उपभोगान्त राय और २६. वीर्यान्तराय ये छब्बीस प्रकृतियाँ देशघाति हैं। १२४. प्रश्न : सर्वघाति किसे कहते हैं ? और वे कौन कौन हैं? उत्तर : जो आत्म गुणों को बिल्कुल ही प्रकट न होने दे उसे सर्वघाति कहते हैं। वे इक्कीस हैं- १. केवलज्ञानावरण (३६)

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125