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वाली ४ प्रकृतियाँ कौन हैं ? उत्तर : प्रत्याख्यानावरण क्रोध-मान-माया और लोम इन चार
प्रकृतियों की बन्ध व्युच्छित्ति पंचम् गुणस्थान में होती है। १५६. प्रश्न : षष्ठम्-प्रमत्त संयत गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने
वाली ६ प्रकृतियाँ कौन है ? उत्तर : अस्थिर, अशुभ, असातावेदनीय, अयशस्कीर्ति, अरति और
शोक, इन छह प्रकृतियों की बन्ध व्युच्छित्ति षष्टम् गुणस्थान
में होती है। १६०. प्रश्न : सप्तम्-अप्रमत्त संयत गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने
वाली एक प्रकृति कौन है ? उत्तर : देवायु, इस एक प्रकृति की बंथ व्युच्छित्ति सप्तम् गुणस्थान
में होती है। १६१. प्रश्न : अष्टम्-अपूर्वकरण गुणस्थान में ब्युच्छिन्न होने
वाली ३६ प्रकृतियों कौन है? उत्तर : अपूर्वकरण गुणस्थान के सात माग हैं उनमें मरण रहित
प्रथम भाग में निद्रा और प्रचला इन दो को छठे भाग के अन्त समय में तीर्थकर, निर्माण, प्रशस्त विहायोगति, पंचेन्द्रिय जाति, तैजस, कार्मण, आहारक शरीर, आहारक