Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 109
________________ २४५. प्रश्न : झानायरण और दर्शनावरण कर्म के वन्य के प्रत्यय क्या हैं ? उत्तर : ज्ञान और दर्शन के विषय में किये गये प्रदोष, निहनव, मात्सर्य, अन्तराय, आसादना और उपघात, ज्ञानावरण और दर्शनावरण के प्रत्यय हैं। २४६. प्रश्न : सातावेदनीय के प्रत्यय क्या हैं ? उत्तर : भूतानुकम्पा (प्राणिमात्र पर दया करना) व्रत्यनुकम्पा (व्रतीजनों पर दया भाव रखना), दान, सराग संयम, क्षमा और शौच (संतोष) सातावेदनीय के प्रत्यय हैं। २५०. प्रश्न : असातावेदनीय के प्रत्यय क्या है ? उत्तर : दुःख, शोक, ताप, आक्रन्दन, वध और परिदेवन (विलाप) . आदि असातावेदनीय के प्रत्यय हैं। २५६. प्रश्न : दर्शन मोहनीय के प्रत्यय क्या हैं ? उत्तर : केवली, श्रुत, संघ, धर्म और देव का अवर्णवाद करना (मिथ्या दोष लगाना) दर्शनमोह के प्रत्यय हैं। २५८. प्रश्न : चारित्र मोहनीय के प्रत्यय क्या हैं ? उत्तर : कषाय के उदय से तीव्र परिणाम रखना चारित्र मोहनीय के प्रत्यय हैं। (१०४)

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