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२४५. प्रश्न भावलिंगी मुनिपद कितनी बार धारण करना पड़ता है ?
उत्तर : भावलिंगी मुनि पद अधिक से अधिक ३२ बार ही धारण करना पड़ता है । ३वीं बार के मुनिपद से अवश्य ही मोक्ष प्राप्त हो जाता है । द्रव्यलिंगी मुनिपद अनन्त बार नाम हो का है, कोई कोई निकट एक बार ही भावलिंगी मुनिपद धारण कर मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं। २४६. प्रश्न: कर्म के बन्ध के सामान्य प्रत्यय (कारण) कौन हैं ?
उत्तर : सामान्य रूप से मिध्यात्व, अविरति कषाय और योग ये चार बन्ध के प्रत्यय हैं। कहीं कहीं प्रमाद को भी बन्ध का प्रत्यय कहा गया है परन्तु यहाँ उसे कषाय में गर्भित कर लिया है, प्रथम गुणस्थान में बन्ध के चारों प्रत्यय रहते हैं। सासादन से अविरत सम्यग्दृष्टि तक तीन गुणस्थानों में अविरति, कषाय और योग इन तीन प्रत्ययों से बन्ध होता है । एक देश अविरति का त्याग होने से देश संयत गुणस्थान में अविरति नाम का दूसरा प्रत्यय विरति से मिला हुआ है शेष कषाय और योग पूर्णरूप से विद्यमान हैं। प्रमत्त संयत से लेकर सूक्ष्म सांपराय तक पाँच
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