Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 78
________________ १६३. प्रश्न : पंचम् गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने वाली ८ प्रकृतियों कौन है? उत्तर : प्रत्याख्यानावरण क्रोथ-मान-माया-लोभ तिर्यगायु, उद्योत, नीच गोत्र और तिर्यगूगति, इन आठ प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्ति पंचम् गुणस्थान में होती है। १६४. प्रश्न : षष्ठम् गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने वाली ५ प्रकृतियाँ कौन है? उत्तर : आहारक शरीर, आहारक शरीरांगोपांग, स्त्यानगृद्धि, निद्रा निद्रा और प्रचला प्रचला, इन ५ प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्ति छठे गुणस्थान में होती है। . १६५. प्रश्न : सप्तम् गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने वाली ४ प्रकृतियाँ कौन है? उत्तर : सम्यक्त्व प्रकृति, अर्थनाराच, कीलक और असंप्राप्त सृपाटिका संहनन, इन चार प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्ति सप्तम् गुणस्थान में होती है। १६६. प्रश्न : अष्टम् गुणस्थान में व्युच्छिन्न होने वाली ६ प्रकृतियाँ कौन है ? उत्तर : हास्य, रति, अरति, शोक, भय और जुगुप्सा इन छह प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्त अष्टम् गुणस्थान में होती है? (७३)

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