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व्युच्छित्ति उदय व्युच्छित्ति के पहले होती है। २२६. प्रश्न : परोदयबन्धी प्रकृतियाँ कौन हैं? उत्तर : देवायु, नरकायु, तीर्थकर प्रकृति, वैक्रियिकषट्कर, वैक्रियिक
शरीर, वैक्रियिक शरीरांगोपांग, नरकगति, नरक गत्यानुपूर्वी, देवति, देव गत्यानुपूर्वी, आहारक शरीर और आहारक शरीरांगोपांग, ये ११ प्रकृतियाँ परोदय बन्धी हैं अर्थात् इनका पर उ८ में होता है। नानी इनके गाम कार
में इन्हीं का बन्ध नहीं होता। २३०. प्रश्न : स्वोदयबन्धी प्रकृतियाँ कौन हैं ? उत्तर : मिथ्यात्व, पाँच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण, पाँच अन्तराय,
तैजस, कामण, वर्णादिक की चार, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, अगुरुलघु और निर्माण ये २७ प्रकृतियाँ स्वोदयबन्धी हैं अर्थात् इनका बन्ध अपने उदय के समय में ही होता
है।
२३१. प्रश्न : उमयोदयबन्धी प्रकृतियाँ कौन हैं ? उत्तर : उपर्युक्त प्रकृतियों के सिवाय ८२ प्रकृतियाँ उभयोदय
बन्धी हैं, अर्थात् अपना उदय होने अथवा न होने पर भी बैंधती हैं।
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