Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 104
________________ २३८. प्रश्न : विध्यात संक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर : मन्द विशुद्धता वाले जीव की स्थिति - अनुभाग के घटाने रूप भूतकालीन स्थिति काण्डक और अनुभाग काण्डक तथा गुण श्रेणी आदि परिणामों में प्रवृत्ति होना विध्यात संक्रण है। २३६. प्रश्न: अधःप्रवृत्त संक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर : बन्ध रूप हुई प्रकृतियों के परमाणुओं का, अपने बन्ध में संभवती प्रकृतियों में जो प्रदेश संक्रमण होता है उसे अधःप्रवृत्त संक्रमण कहते हैं। २४०. प्रश्न: गुण संक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर : जहाँ पर प्रति समय असंख्यात गुण - श्रेणी के क्रम से कर्मप्रदेश अन्य प्रकृति रूप परिणमते हैं उसे गुण संक्रमण कहते हैं। २४१. प्रश्न: सर्वसंक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर : अन्तिम काण्डक की अन्तिम फालि के सर्व प्रदेशों का जो अन्य प्रकृति रूप नहीं हुए हैं ऐसे उन परमाणुओं का अन्य प्रकृति रूप होने को सर्वसंक्रमण कहते हैं । (६६)

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