Book Title: Karananuyoga Part 2 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 87
________________ २०६. प्रश्न: किस गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की उदीरणा होती है ? उत्तर: मिथ्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर सयोग केवली गुणस्थान तक क्रम से ११७, १११, १००, १०४, ७, ८१, ७३, ६६, ६३, ५७, ५६, ५४ और ३६ प्रकृतियों की उदीरणा होती है । २१०. प्रश्न: किस गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की अनुदीरया है ? उत्तर: मिथ्यादृष्टि से लेकर संयोग केवली गुणस्थान तक क्रम से ५, ११, २२, १८, ३५, ४१, ४६, ५३, ५६, ६५, ६६, ६८ और ८३ प्रकृतियों की अनुदीरणा है। उदीरणा त्रिमंगी की योजना उदर त्रिभंगी के अनुसार कर लेना चाहिये । २११. प्रश्न मरण किन किन का नहीं होता है ? उत्तर : मिश्र गुणस्थान वाले, निर्वृत्य पर्याप्तक अवस्था के धारण • करने वाले मिश्रकाय योगी, क्षपक श्रेणी वाले, उपशम (२)Page Navigation
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