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२१३ प्रश्न
किसे कहते है ?
उत्तर : बन्ध होने पर अपनी अपनी स्थिति के अनुसार कर्म प्रदेश का आत्म प्रदेशों के साथ संलग्न रहने को सत्त्व कहते हैं।
२१४. प्रश्न: गुणस्थानों में कर्म सत्त्व की क्या व्यवस्था है ? उत्तर : प्रथम गुणस्थान में तीर्थंकर और आहारक युगल की सत्ता एक साथ नहीं होती। द्वितीय सासादन गुणस्थान में तीर्थकर प्रकृति और आहारक युगल की सत्ता क्रम से भी नहीं होती और युगपत् भी नहीं होती तथा तृतीय मिश्रणं गुणस्थान में तीर्थंकर प्रकृति की सत्ता नहीं होती । तात्पर्य यह है कि उपर्युक्त प्रकृति की सत्ता वाले जीवों के उपर्युक्त गुणस्थान नहीं होंगे।
२१५. प्रश्न: आयुबन्ध हो चुकने पर सम्यक्त्व, देशव्रत और महावत प्राप्त होने की क्या व्यवस्था है ?
उत्तर : चारों गतियों सम्बन्धी आयु का बन्ध होने पर सम्यग्दर्शन तो हो सकता है, परन्तु देवायु को छोड़कर अन्य आयु का
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