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ध्यान रहे कि नरक में उत्पन्न होने वाला प्रथम नरक में, तिथंच तथा मनुष्यों में उत्पन्न होने वाला भोगभूमिज तिथंच तथा मनुष्यों में और देवों में उत्पन्न होने वाला वैमानिक देवों में ही उत्पन्न होगा।'
।। इति तृतीयाधिकार : समाप्तः।।
१. इतना और स्मरणीय है कि प्रकीर्णक, आभियोग्य और किल्विषक देवों में भी नहीं उत्पन्न होता। (धवल १/३३६)