Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 83
________________ में अनुदय ३५ का और उदय व्युच्छित्ति ८ की है। पंचम् गुणस्थान की उदय योग्य ८७ प्रकृतियों में से उदय व्युच्छित्ति की ८ प्रकृतियाँ घटाने तथा आहारक युगल के सिजाने से मातम मुगा में उदय योरप -१ प्रकृतियाँ हैं। पिछले अनुदय की ३५ प्रकृतियों में उदय व्युच्छित्ति की प्रकृतियाँ मिलाने और आहारक युगल के घटाने से अनुदय योग्य ४१ प्रकृतियाँ हैं तथा उदय व्युच्छित्ति ५ की है। षष्ठम् गुणस्थान के उदय योग्य ८१ प्रकृतियों में से उदय व्युच्छित्ति की ५ प्रकृतियाँ कम होने से सप्तम् गुणस्थान में उदय योग्य ७६ प्रकृतियाँ हैं। पिछले अनुदय की ४१ प्रकृतियों में उदय व्युच्छित्ति की ५ प्रकृतियाँ मिलाने से सप्तम् गुणस्थान में अनुदय योग्य ४६ प्रकृतियाँ हैं तथा उदय व्युच्छित्ति ४ की है। सप्तम् गुणस्थान की उदय योग्य ७६ प्रकृतियों में से उदय व्युच्छित्ति की ४ प्रकृतियाँ कम कर देने से अष्टम् गुणस्थान में ७२ ।। प्रकृतियाँ उदय योग्य हैं। पिछले अनुदय की ४६ प्रकृतियों में उदय व्युच्छित्ति की ४ प्रकृतियाँ मिल जाने से अष्टम् गुणस्थान में अनुदय योग्य ५० प्रकृतियाँ हैं और ६ की उदय व्युच्छित्ति है। अष्टम् गुणस्थान की उदय योग्य ७२ प्रकृतियों में से उदय व्युच्छित्ति की ६ प्रकृतियाँ कम कर (७८)

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