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गुणस्थान में बन्ध ६३ का, बन्ध व्युच्छित्ति ६ की और अबन्ध ५३+४= ५७ का है। षष्ठम् गुणस्थान की व्युच्छिन्न ६ प्रकृतियाँ कम करने और आहारक युगल मिलाने से सप्तम् गुणस्थान में बन्ध ५६ का बन्ध व्युच्छित्ति १ की और अबन्ध ५७+ ६ = ६३, ६३ २०६१ का है। सप्तम् की में व्युच्छिन्न १ प्रकृति कम हो जाने से अष्टम् गुणस्थान बन्ध ५८ का, बन्ध व्युच्छित्ति ३६ की और अबन्ध ६१+१=६२ का है। अष्टम् में व्युच्छिन्न ३६ प्रकृतियाँ कम हो जाने से नवम में बन्ध २२ का, बन्ध व्युच्छित्ति ५ की और अबन्ध ६२ + ३६ = ६८ का है । नवम् की व्युच्छिन्न ५ प्रकृतियाँ कम हो जाने से दशम् गुणस्थान में बन्ध १७ का बन्ध व्युच्छित्ति १६ की और अबन्ध ६८+५=१०३ का है। दशम् की व्युच्छिन्न १६ प्रकृतियाँ कम हो जाने से ग्यारहवें, बारहवें तथा तेरहवें गुणस्थानों में बन्ध १ का और अबन्ध ११६ का है। ११वें और १२वें में गुणस्थान में बन्ध व्युच्छित्ति शून्य है । तेरहवें गुणस्थान १ की बन्ध व्युच्छित्ति हो जाने से चौदहवें गुणस्थान में बन्ध और बन्ध व्युच्छित्ति शून्य तथा अबन्ध १२० प्रकृतियों का है। पिछले गुणस्थान की बन्ध प्रकृतियों में से उसकी व्युच्छित्ति कम करने पर आगामी गुणस्थान का बन्ध
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