Book Title: Karananuyoga Part 2 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 47
________________ असंक्षेपाद्धा' प्रमाणकाल शेष रह जाता है तब नियम से परभव सम्बन्धी आयु का बन्धं होता है। देव और नारकियों के वर्तमान आयु में छह मास शेष रहने पर। आय अपकर्ष काल हात हैं तथा भोग भूमिज मनुष्य और तिर्यचों के वर्तमान आयु के नौ माह शेष रहने पर आठ अपकर्ष काल आते हैं। १३४. प्रश्न : किस आयु का किस गुणस्थान तक बन्ध होता उत्तर : नरकायु का बन्ध प्रथम गुणस्थान तक, तिर्यच आयु का बन्ध द्वितीय गुणस्थान तक, कर्मभूमिज मनुष्य और तियंचों की अपेक्षा मनुष्यायु का बन्ध द्वितीय गुणस्थान तक और देव तथा नारकियों की अपेक्षा चतुर्थ गुणस्थान तक होता है तृतीय गुणस्थान में किसी भी आयु का बन्ध नहीं होता। तिर्यच के चतुर्थ और पंचम गुणस्थान में तथा . १. यह बात खास ध्यान रखने योग्य है कि असंक्षेपाद्धा काल आवली के संख्यातवें भाग प्रमाण होता है, न कि असंख्यातवें भाग प्रमाण। (गोक० पृष्ट १२६ आर्यिका आदिमती जी की टीका सम्पा० अ० रतनचन्द मुख्तार एवं धवल ११/२६६, २७३, २७५ एवं प० ११ १६२ की चरम पंक्ति आदि द्रष्टव्य हैं) (४२)Page Navigation
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