Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

Previous | Next

Page 26
________________ ६३. प्रश्न : पिण्ड प्रकृति किसे कहते हैं ? उत्तर : जिनके एक से अधिक भेद होते हैं उन्हें पिण्ड प्रकृति कहते हैं। जैसे गति, जाति आदि। ६४. प्रश्न : गति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिस कर्म के उदय से जीव की नरक, तिर्यच, मनुष्य और देवरूप अवस्था हो उसे गति नाम कर्म कहते हैं। इसके नरक गति आदि चार भेद हैं। ६५. प्रश्न : जाति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से इस जीव का एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रियों में जन्म हो उसे जाति नाम कर्म कहते हैं। इसके एकेन्द्रियादि पाँच भेद हैं। ६६. प्रश्न : शरीर नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण, इन पाँच शरीरों की रचना होती है उसे शरीर नामकर्म कहते हैं। इसके औदारिक शरीर नामकर्म .. आदि पाँच भेद हैं। ६७. प्रश्न : अंगोपांग नामकर्म किसे कहते हैं ? । उत्तर : जिसके उदय से दो हाथ, दो पैर, नितम्ब, पीट, छाती (२१)

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125