Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 37
________________ १०६. प्रश्न : बादर नामकर्म किो दाहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से ऐसा शरीर हो जो किसी से रुके तथा । किसी को रोके उसे बादर नामकर्म कहते हैं। इसका उदय सब संसारी जीवों के होता है। ११०, प्रश्न : पर्याप्ति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : निसके. उदय से आहार, शरीर, इंद्रिय, श्वासोच्छ्वास, भाषा और मन इन छह पर्याप्तियों की यथायोग्य (पर्याययोग्य) पूर्णता हो उसे पर्याप्ति नामकर्म कहते हैं। १११. प्रश्न : अपर्याप्ति नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उपय से एक भी पर्याप्ति पूर्ण न हो अर्थात् व्यपर्याप्तक अवस्था हो उसे अपर्याप्ति नामकर्म कहते हैं। इसका उदय सम्मूर्छन जन्म वाले मनुष्य और तिर्यंचों के ही होता है। ११२. प्रश्न : स्थिर नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से शरीर के धातु-उपधातु अपने अपने (३२)

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