Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 36
________________ १०६. प्रश्न : शुभ नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से शरीर के अवयव सुन्दर हों उसे शुभ नामकर्म कहते हैं ! शशया जिस कर्म के उदय से चक्रवर्तित्व, बलदेवत्व, वासुदेवत्व आदि ऋद्धियों के सूचक शंख, कमल आदि चिह्न अंग प्रत्यंगों में उत्पन्न होवें वह शुभ नामकर्म है। १०७. प्रश्न : अशुभ नामकर्म किसे कहते हैं ? . उत्तर : जिसके उदय से शरीर के अवयव सुन्दर न हों उसे अशुभ 'नामकर्म कहते हैं। अथवा जिस नामकर्म के उदय से शरीर में अशुभ लक्षण उत्पन्न होते हैं वह अशुम नामकर्म है। १०८. प्रश्न : सूक्ष्म नामकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से ऐसा शरीर प्राप्त हो जो न किसी से रुके और न किसी को रोक सके। उसे सूक्ष्म नामकर्म कहते हैं। यह शरीर एकेन्द्रिय जीवों के ही होता है। उनमें भी प्रत्येक वनस्पति के नहीं होता। (३१)

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