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उत्तर : सब तीर्थंकरों की समान शक्ति होने पर भी शान्तिनाथ
शान्ति के करने वाले हैं तथा पार्श्वनाथ रक्षा करने वाले
हैं ऐसा भाव होना चल दोष कहलाता है। ४४. प्रश्न : मलिन दोष किसे कहते हैं ? उन्र : साम्यग्दर्शन में कांस, अदि मा तीन मूढ़ता
आदि पच्चीस दोष लगने को मलिन दोष कहते हैं। ४५. प्रश्न : अगढ़ दोष किसे कहते हैं ? उत्तर : अपने द्वारा निर्मापित या प्रतिष्ठापित प्रतिमा आदि में
'यह मन्दिर मेरा है, यह प्रतिमा मेरी है' इस प्रकार का
माव होना अगाढ़ दोष कहलाता है।' ४६. प्रश्न : अनन्तानुबन्धी किसे कहते हैं ? उत्तर : जो कषाय सम्यक्त्व को घातती है अथवा अनन्तमिथ्यात्व
के साथ जिसका अनुबन्ध-सम्बन्ध हो उसे अनन्तानुबन्धी कहते हैं। इसके क्रोध-मान-माया और लोभ के भेद से चार भेद हैं। .
१. स्मरण रहे कि यह एक उदाहरण मात्र है।
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