Book Title: Karananuyoga Part 2 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 19
________________ साता वेदनीय और २. अमाता वेदनीय ३६. प्रश्न : साता वेदनीय किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से यह जीव प्राप्त सामग्री में सुख का वेदन ___ करता है उसे साता वेदनीय कहते हैं। ३७. प्रश्न : असाता वेदनीय किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से जीव प्राप्त सामग्री में दुःख का वेदन अनुभव करता है उसे असाता वेदनीय कहते हैं। ३८. प्रश्न : मोह-मोहनीय कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जो आत्मा के सम्यक्त्व या सुख गुण का धात करे अथवा जिसके उदय से जीव स्वरूप को भूल कर पर पदार्थों में अहंकार और ममकार करने लगता है उसे मोह या मोहनीय कर्म कहते हैं ? ३६. प्रश्न : मोह कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर : मूल में दो मेद हैं- १. दर्शन मोह और २. चारित्र मोह। दर्शन मोह के तीन भेद हैं- १. मिथ्यात्व २. सम्य.मिथ्यात्व और ३. सम्यक्त्व प्रकृति। चारित्र. मोह के दो भेद है- १. कषाय वेदनीय और २. नौकषाय वेदनीय। कषाय वेंदनीय के सोलह भेद हैं (१४)Page Navigation
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