Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 17
________________ विकल्प रहित-सामान्य रूप से जानता है उसे दर्शन कहते हैं। इसके चार भेद हैं- १. चक्षुर्दर्शनं २, अचक्षुर्दशन ३. अवधिदर्शन और ४. केवल दर्शन । छद्मस्थ बारहवें गुणस्थान तक के जीवों का ज्ञान दर्शन पूर्वक होता है अर्थात् पहले दर्शन होता है और उसके बाद ज्ञान। परन्तु केवलज्ञान और केवलदर्शन साथ साथ होते हैं। श्रुतज्ञान, मतिज्ञान पूर्वक होता है। और मनःपर्यय ज्ञान, ईहा मतिज्ञान पूर्वक होता है इसलिये इनके पहले श्रुतदर्शन और मनःपर्यय दर्शन नहीं होता। वीरसेन स्वामी ने सामान्य का अर्थ आत्मा कहा है अतः उनके कहे अनुसार सामान्यावलोकन का अर्थ आत्मावलोकन होता है। ३०. प्रश्न : निद्रादर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से साधारण नींद आती है उसे निद्रा दर्शनावरण कहते हैं। ३१. प्रश्न : निद्रा-निद्रादर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से गहरी नींद आती है उसे निद्रा-निद्रादर्शनावरण कहते हैं। ___३२. प्रश्न : प्रचलादर्शनावरण किसे कहते हैं ? (१२)

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