Book Title: Karananuyoga Part 2
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 22
________________ ४७. प्रश्न : अप्रत्याख्यानायरण किसे कहते हैं ? .. उत्तर : जो अप्रत्याख्यान-एक देश चारित्र को प्रकट न होने दे उसे अप्रत्याख्यानावरण कहते हैं। इसके क्रोथ आदि चार भेद हैं। ४८. प्रश्न : प्रत्याख्यानावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जो प्रत्याख्यान-सकल चारित्र का घात करे उसे प्रत्याख्यानावरण कहते हैं। इसके क्रोध आदि चार भेद हैं। ४६. प्रश्न : संज्वलन किसे कहते हैं ? उत्तर : जो यथाख्यात चारित्र को प्रकट न होने दे तथा संयम के साथ प्रकाशमान रहे उसे तज्वलन कहते हैं। इसके भी क्रोध आदि चार भेद हैं। उपर्युक्त सोलह कषाय आत्मा को निरन्तर कषती रहती हैं- दुखी करती रहती हैं इसलिये इन्हें कषाय वेदनीय कहते हैं। ५०. प्रश्न : हास्य किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से हँसी आवे उसे हास्य कहते हैं। ५१. प्रश्न : रति किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से स्त्री पुत्र, आदि में प्रीति रूप परिणाम (१७)

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