Book Title: Karananuyoga Part 2 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 15
________________ कर्म कहते हैं। २२. प्रश्न : ज्ञानावरण कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तर : पाँच भेद हैं- १. मतिज्ञानावरण ३. श्रुतज्ञानावरण ३. अवधिज्ञानावरण ४. मनःपर्यय ज्ञानावरण और ५. केवल ज्ञानावरण। इन सबका अर्थ स्पष्ट है। २३. प्रश्न : दर्शनावरण कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर : जिसके उदय से जीव का दर्शन (सामान्य प्रतिभास) गुण प्रकट न हो सके उसे दर्शनावरण कर्म कहते हैं। २४. प्रश्न : दर्शनावरण कर्म के कितने भेद हैं ? . उत्तर : नौ हैं- १. चक्षदर्शनावरण २. अचक्षुर्दर्शनावरण ३. अवधिदर्शनावरण ४. केवलदर्शनावरण ५. निद्रा ६. निद्रा-निद्रा ७. प्रचला ८. प्रचला-प्रचला और ६. स्त्यानगृद्धि। २५. प्रश्न : चक्षुर्दर्शनावरण किसे कहते हैं ? उत्तर : जो चक्षु इन्द्रिय से होने वाले ज्ञान के पूर्ववर्ती सामान्य प्रतिभास को प्रकट न होने दे उसे चक्षुर्दर्शनावरण कहते (१०)Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125