Book Title: Jinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Priyashraddhanjanashreeji
Publisher: Priyashraddhanjanashreeji
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जिनभदगणिकृत ध्यानशतक एवं उसकी हरिभद्रीय टीका :
एक तुलनात्मक अध्ययन
चतुर्थ अध्याय 1. ध्यान का स्वामी 2. ध्याता और ध्यातव्य में भेदाभेद का प्रश्न 3. ध्याता के आध्यात्मिक विकास की विभिन्न भूमिकाएँ {चौदह |
गुणस्थान} 4. आर्तध्यान के स्वामी की विभिन्न भूमिकाएँ 5. रौद्रध्यान के स्वामी की विभिन्न भूमिकाएँ 6. धर्मध्यान के स्वामी की भूमिका के सम्बन्ध में श्वेताम्बर तथा
दिगम्बर-परम्परा का मतभेद 7. धर्मध्यान में पिण्डस्थ, रूपस्थ एवं रूपातीत ध्यानों का स्वरूप 8. पार्थिवादि चार प्रकार की धारणाओं का स्वरूप एवं जैन-परम्परा में विकास
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