Book Title: Jinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Priyashraddhanjanashreeji
Publisher: Priyashraddhanjanashreeji
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28. आत्मख्यांति
इसमें आत्मा के विभु अणु - परिमाण का निवारण है ।
29. आर्षमीयचरित्र
इसमें भरतचक्रवर्ती की जीवन-झांकी है ।
30. तिड़न्वयोक्ति
इसमें तिड़न्तपद वाले शब्द का खुलासा है ।
31. सप्तभंगीनयप्रदीप इसमें भंगी और नय का वर्णन है ।
41. स्तोत्रावली
का संकलन ।
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32. निशाभुक्ति - प्रकरण
33. परमज्योति पंचविंशिका - तथा
34. परमात्मपंचविंशिका – इन दोनों ग्रन्थों में परमात्मा की स्तुति का वर्णन है । 35. प्रतिमास्थापनन्याय - इसमें प्रतिमा में प्रभुत्व, पूज्यत्व की स्थापना वर्णित है
36. प्रमेयमाला – इसमें अलग-अलग वादों का संकलन है ।
37. मार्गपरिशुद्धि - इसमें मोक्षमार्ग की विशुद्धता वर्णित है 38. यतिदिनचर्या
इसमें साधु की दिनचर्या का वर्णन है 1
39. विषयतावाद
इसमें उद्देश्यता आदि का निर्देश है।
40. सिद्धसहस्रनामकोश
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इसमें रात्रिभोजन का निषेध है।
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इसमें भगवान् के सहस्राधिक नामों का संकलन है
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इसमें ऋषभदेव, पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी के आठ स्तोत्र
42. स्यादवादरहस्यपत्र
जिसके अन्तर्गत स्याद्वाद की युक्तियों का वर्णन है।
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इसमें पण्डितवर्ग पर प्रेषित पत्रों का संकलन है,
उपाध्याय यशोविजयजी ने पूववर्त्ती आचार्यों के ग्रन्थों के आधार पर जो टीकाएँ एवं वृत्तियाँ लिखी हैं, उनकी सूची इस प्रकार है
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1. षोडशकवृत्ति–योगदीपिका, 2. योगविंशिकावृत्ति, 3. स्याद्वादकल्पलता, 4.उत्पादादिसिद्धि, 5. कम्मपयडिबृहदटीका, 6. कम्मपयडिलघुटीका, 7. तत्त्वार्थसूत्र के प्रथम अध्याय पर टीका, 8. स्तवपरिज्ञा अवचूरि, 9 अष्टसहस्रीटीका, 10. पातंजल
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