Book Title: Jinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Priyashraddhanjanashreeji
Publisher: Priyashraddhanjanashreeji
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शुभचन्द्राचार्य का जीवन-परिचय :
आचार्य शुभचन्द्र जन्म से ही महान प्रतिभासम्पन्न कवि थे। जैन इतिहास में शुभचन्द्र के नाम वाले बहुत से विद्वान आचार्य हुए हैं, लेकिन यहाँ हम उन शुभचन्द्र की चर्चा कर रहे हैं, जो ज्ञानार्णव के रुप में ध्यान एवं योग के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त कर चुके हैं।
आचार्यश्री का जन्म कब और कहाँ हुआ ? उन्होंने संयम कहाँ, कैसे लिया? संयम-जीवन का अधिकांश समय कहाँ व्यतीत किया और कौन-कौनसे क्षेत्रों में विचरण रहा ? साथ ही उनकी गुरु-परम्परा क्या थी ? उनके माता-पिता कौन थे? इन सब तथ्यों के संदर्भ में कोई प्रमाण नहीं मिलता है। ज्ञानार्णव जैसे विशालकाय ग्रन्थ में भी उन्होंने अपने बारे में कहीं कोई संकेत नहीं दिया।
आचार्य शुभचन्द्र के जीवन-वृत्त के सन्दर्भ में अनेक विद्वानों की भिन्न-भिन्न विचार-धाराएँ हैं। कुछ विद्वानों का कहना है कि ये धारानगरी के राजा भोज के काल में हुए होंगे, क्योंकि महान् कविराज भर्तृहरि के साथ उनका कोई न कोई संबंध जरुर रहा होगा, क्योंकि भर्तृहरि द्वारा विरचित "वैराग्यशतक' तथा शुभचन्द्र द्वारा विरचित ज्ञानार्णव के पद्यों में पर्याप्त समानता दिखाई देती है।
कुछ विद्वानों का मत है कि विश्वभूषण–भट्टारक द्वारा रचित “भक्तामर चरित उत्थानिका' के अन्तर्गत आचार्य शुभचन्द्र के जीवन के संबंध में कुछ संकेत जरुर मिलते हैं; परन्तु वे भी प्रामाणिक नहीं है।
___ कुछ विद्वानों का यह मत है कि आचार्य शुभचन्द्र के जीवन–प्रसंगों का उल्लेख शिलालेखों में, ग्रन्थों की प्रशस्तियों में भी अनुपलब्ध है। यहाँ तक कि हमने पूर्व में सूचित किया कि ज्ञानार्णव जैसे महनीय कृति में भी उनके जीवन परिचय का अभाव है।
55 प्रस्तुत संदर्भ 'जैनधर्म में ध्यान का ऐतिहासिक विकासक्रम' -डॉ. उदितप्रभा, पुस्तक से खंड-6, पृ.3 56 'जैनधर्म के प्रभावक आचार्य' पुस्तक से उद्धृत, पृ. 676
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