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१२ अन्नालग सिद्धा-नैन मत से अतिरिक्त जो
अन्य मत हैं उनके क्षेप में जो मिद्ध होते हैं उन्हीं का नाम अन्यलिंग सिद्ध है क्योंकि मोन पद किसी मत के अधीन नहीं है किन्तु निस आत्मा का राग और द्वेप नष्ट होगया हो तथा जो आत्मा आठौं कमा से विमुक्त होगया हो यही मोक्ष प्राप्त कर सकता है १. गिहिलिग सिन्दा-गृहस्थ के वेप में सिद्वपन
प्रामसर मक्ता है क्योंकि बाहा थेप, मोन पर पा नावर नई है किन्तु अतरंग अनु वा आमा कर्म मोक्ष पर के राधक है अत राग और द्वेप के सय करने वाले गृहस्थ लोग भी मोक्ष पद प्राप्त कर मकत हे एग सिध्दा--एक ममय एक ही जीव मिद्धपद
प्राप्त कर तर एक मिद्धा कहानाता है १५ अणेग सिध्दा-गक समय मे यदि अनेक जीय
सिद्धपद की प्राप्ति करते हैं तर अनेक सिद्ध
कहे जाते हैं प्रश्न-मिद्ध आत्माओं के कौन से प्रसिद्ध नाम हैं। उत्तर-मिद्ध आत्माओं के अनक शुभ नाम प्रसिद्धि में
आरहे हैं जैसे कि:-अजर, अगर, पारगत परम्पग' -