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व्दारा धर्म के मर्म को समझकर फिर दोजित हुए और फिर कर्म क्षयकर मोक्ष पद जिन्हाने प्राप्त किया है उन्हषो बुद्ध योधिन सिद्ध कहते हैं
८ इत्थलिंग सिध्दा:-नो स्त्री ये येप (रिन्छ ) में फेवलज्ञान पाकर मोक्ष होगा है उन्हें स्रोलिंग सिद्ध कहते है जैसे चदनयालादि अनेक आर्याएँ मोक्ष गई हैं क्योंकि श्रीयेद मोक्ष पद या याधक है नाके स्त्रीलिंग
९ पुरिस लिंग गिध्दा - जो पार्टिंग में मोक्ष गए है जैसे गौतमस्वामी आदि अनेक महापुर राग द्वेषादि अतरंग शत्रुओं को जीतकर केवलज्ञान प्राप्त किया फिर धारा अघातिये मे क्षयवर मोक्ष पक्ष पाया उन्ह पुरुपटिंग सिद्ध पहते है
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१ नपुंसक लिंग सिध्दा -जो नपुमकलिंग में रहने वाले जीव हैं जन उहाने आठों कमी को क्षयवर दिया तब वे मोक्षारू होगए अत उनका नाम नपुसकलिंग सिद्ध है
११ सर्टिंग सिध्दा -जैन मुनि के वेप म जो ज्ञाना वरणीय, दर्शनावरणीय, वेन्नीय, मोहनीय, आयुष्य धर्म, नाम कर्म, गोत्रकर्म और अतराय क्म को क्षयवर मोक्ष होते हैं उन्हीं का नाम स्वलिंग सिद्ध है