Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 07
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Swarup Library

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Page 12
________________ ३ तित्थयर सिध्दा तीवर पद पाकर जो जीन मि पद प्राप्त करते हैं यह तीरसि कहते हैं क्योंकि यह पद एक विशेष होता है - पुण्य के कारण में माप्त ५ ४ अतियरत्थ सिद्ध जो मामान्यकेवली होकर राग और द्वेष के य मोers होते हैं क्योंकि होने से ही ज्ञान की प्राप्ति प्रत्येक जीव कर महा है किन्तु तीर्थकर नाम विशेष पुण्य के य से प्राप्त होता है वैवज्ञान प्रत्येक जीव ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनी, और उतराय कर्म के जय करने से प्राप्त कर मरता है • स्वयबुध्द सिध्दाः -- कमी के उपदेश के निना arrana are afar होजाना और फर बलवान पाकर मोन पर प्राप्त करना इसे स्वयद्व मि कहते हैं । - ६ पनेय व सिद्धा किसी एक नस्तु को देयार जो नो ग्राम करता है हमे प्रत्येक द्ध कहन हैं जिस प्रकार नमराजपि चूडियो का सुनहर नोद्ध प्राप्त होगए इस प्रकार अनेr व्यक्ति ऐसे होगए हैं जो प्रत्येrद्ध होकर मोलारुढ हुए हैं ७ बुद्ध बोहिय सिध्दा:- जो गुरु के उपदेश

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