Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 07
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Swarup Library

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ छोडकर देव पर्याय को प्राप्त होगया तब उसके मनुष्य पर्याय का तो नाश और देव पर्याय का उप्ताद माना जाता है किंतु जीवद्रव्य की धौव्यता दोगों पर्यायों में सदाप रहती है अतण्व द्रव्यत्व की अपेक्षा जीवद्रव्य नित्य है और पर्याय की अपेक्षा से जीवद्रव्य अनित्य है. प्रश्न-जीव द्रव्य अनादि क्यों है ? उत्तर ---इसके कारण की अनुपरधना है क्योंकि जिन कायां का कारण सिद्धये कार्य अपनी अनादिता सिद्ध नहीं कर सके अन जिन २ पदार्थों के कारणता का अभाव माना जाता है वे पदार्थ अनादि होते हैं प्रश्न --अनादि रिम पहते हैं उत्तर --जिसकी आद उपर ध न हो प्रश्न -रोमा कोई रात दो ? उत्तर से जीवद्रव्य यो ही ले लीनिये क्योंकि यह द्रव्य भी अनादि माना गया है प्रश्न -इसके अतिरिक्त कोई अन्यभी हेतु है । उत्तर --हा जैसे आकाशास्तिकाय वा धर्मास्तिकाय, अध. मास्तिकाय इत्यादि प्रश्न -जीवनय "

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 210