Book Title: Jain Dharm Shikshavali Part 07
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Swarup Library

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Page 8
________________ श्री जैन धर्म शिक्षावली. सातवा भाग नमोत्युण समणस्स भगवतो महावीरस्स (ण) प्रश्न -जोर क्मेि कहते है ? उत्तर ---जो आयुष्य कम रे नाग अपना जीवन व्यतीत स्ता है। प्रश्न -नीव मादि है या अनादि ? उत्तर -जीव अनादि है प्रश्न --सादि किसे कहते है ? उत्तर -निसकी आदि हो प्रश्न.-अनादि किसे कहते हैं ? उत्तर --जिसकी आदि न हो प्रश्न-जन आयुग्य कर्म के क्षय होनेसे जीन की मृत होना सिद्ध है तो फिर जीन अनादि किस प्रकार रहा ? उत्तर --आयुष्य कर्म के क्षय होजानेसे शरीर और जीय फा जो परस्पर सम्बन्ध हो रहा था उसका वियोग हुआ परतु आत्मा का नाश नहीं हुआ क्योंकि आत्मान

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