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काम रूपी वाणों से जर्जरित चित्त रूपी घड़े में विवेक जल नहीं रह सकता है।
"स्वार्थेक देश निर्णीत्ति लक्षणो हि नय.।"
- श्लोकवात्तिक अपने अर्थ के एक अंश का निर्णय करने वाला नय है। "प्रमाणप्रकाशितार्थ विशेष रूप को नयः।" प्रमाण के द्वारा प्रकाशित अस्तित्व नास्तित्व, नित्यत्व अनित्यत्व आदि अनंत वर्मात्मक जीवादि पदार्थों के जो विशेष धर्म है उनके एक अश का ग्राहक नय है। ___ "प्रमाण परिग्रही तार्थेक देशे वस्त्वध्यवसायो नयः । प्रमाण के द्वारा परिग्रहीत अर्थ के एक देश की सत्प्ररूपणा का निश्चय करने वाला नय है। "अनिराकृत प्रतिपक्षो वस्त्वंश ग्राही ज्ञानुरमि प्रायो नयः।
-प्रमेय कमल मार्तण्ड परस्पर अपने प्रति पक्षी का विरोध न करते हुये वस्तु के एक अंश को ग्रहण करने वाले को अथवा ज्ञाता के अभिप्राय को नय कहते है।
वस्तुन्यने कातात्म विरोधेन हेत्वपणत्साध्य विशेषस्य याथात्म्य प्रापण प्रवण प्रयोगो नय ।
-स० सि. अनेक धर्मात्मक वस्तु के विरोध न करके किसी एक धर्म को अपेक्षा से वर्णन करने वाला नय कहलाता है।
___ "नयंति प्रापयंति प्रमाणे क देशानिति नयः । प्रमाण के एक देश को प्राप्त कराता है उसको नय कहते है।
"यथा वस्थित स्वरूप दर्शन समर्थ व्यापारो नयः" वस्तु के जैसा स्वरूप है वैसे स्वरूप के वर्णन करने के सामर्थ्य व्यापार को नय कहते है।
"जो णाणीण वियप्पं सुवासयं वत्थु अंस संगहणं"
तं इह णायं पउत णाणी पुण तेण जाणेण । - श्रत ज्ञान का आश्रय लेकर ज्ञानी वस्तु के विकल्प को ग्रहण करता है वह नय है । नय श्रुत ज्ञान के भेद है इसलिये श्रुत के आधार से नय की प्रवृति होती है। श्रुत प्रमाण होने से सकल ग्राही होता है उसके एक अश को ग्रहण करने वाला नय है । इसलिये नय विकल्प स्व
नय के बिना मानव को स्यावाद को बोध नही हो सकता है। इसलिये जो एकान्त का विरोध कर वस्तु का यथार्थ स्वरूप जानना चाहते है उनको नय जानना चाहिये।
श्रत ज्ञान के दो कार्य है-१ स्याद्वाद -२ नय । सम्पूर्ण वस्तु के कथन को स्याद्वाद कहते है और वस्तु के एक देश कथन को नय कहते है ।
अथवा स्याद्वाद के द्वारा ग्रहीत अनेकान्तात्मक पदार्थों के धर्म का प्रथक् प्रथक् करने वाला नय है। तथा प्रमाण के द्वारा अनेकान्त का वोध होता है । परन्तु नय तभी सुनय है जब वह सापेक्ष हो । यदि वह नय अन्य नयों के द्वारा गृहीत अन्य धर्मों का निराकरण करता है तो वह नय दुर्नय हो जाता है । अत. सापेक्ष नयों के द्वारा गृहीत एकान्तो के समूह का नाम ही
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