________________
मरण समय आ जाने पर भी मूखों की संगति नहीं करना चाहिये।
प्रीवा ग्रीवा से वक्ष स्थल के नीचे हृदय तक
४ १२
वक्ष स्थल के बीच श्रीवत्स का चिन्ह कर वक्ष स्थल २४ भाग चौड़ा बरणावे जिसमें दोनों चंची के बीच १२ भाग दोनों चूंची से बगल छ-छ भाग चौड़ाई रखे दोनों भुजा छै-छ भाग चौड़ी कर इस भुजा से उस भुजा तक ३६ भाग चौड़ाई नाप। कमर १८ भाग चौड़ी ४८ भाग गोल बास का हाड स्कन्ध से गुदा तक ३६ भाग लंबा करे। नाभी का मुख एक भाग चौड़ा गोल शंख का मध्य भाग समान उंडा दक्षिण वर्त मनोहर कर नीचे ८ भाग में ८ रेखा बरगावै।
हृदय से नाभि तक
१२
.
.
नाभि से लिग तक
.
.
.
लिंग से गुदा
८
.
तक
भुजा
कंधे से बोच को अंगुली तक
कोहनी ५॥ भाग चौडी गुलाई खड़गासन प्रतिमा में १६ भाग पद्मासन में १८ भाग कर पोछा ४ भाग चौडा १२ भाग गोल पंजा ७ भाग लंबा व ५ भाग चौड़ा बीच की अंगुली ५ भाग दोनों बगल की ४॥ भाग कनिष्ठा ३॥ भाग ३ पेरू रखै नख ०॥० पेरू प्रमाण करें। लिंग की चौड़ाई मूल से २ भाग मध्य में १ भाग अन में चतुर्थ
लिंग
५
२
.
[१६८]