Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

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Page 355
________________ मम्पा मान मोक्ष रपी सम्मो के निपाम के लिए पमत के समान है। ब्रह्मचर्य व्रत देण्यास योग्य नक्षत्राणि-पूर्वा भाद्रपदा, मूला धनिण्टा, विशाखाश्रवण । अब दीक्षा नक्षत्राणि मृगशिर, आरद्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, ज्येष्टा, श्रवण, धनिष्टा, शततारा, पूर्वाभाद्रपदा, व रेवतो ही नक्षत्रे शुभ होत । बीयाना दीक्षा . अश्विनी पूर्वाफाल्गुणि, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूला उत्तराषाढा, श्रवण, शतामिपा, उत्तराभाद्रपदा ए दश नक्षत्र ग्राह्य। भरणी, कृतिका पुष्य अश्लेषा, आद्रा, पुनर्वसु, नक्षत्राणि अग्राह्य। लग्न-उदय में घडी-पल मंपः वृषभः मिथुन ४-२७ ५-१० कार्कः ५-३१ ५-१८ राशि-नाम चु चे चो ला लि लु ले लो । इ उ ए ओ व वि वु वे वो। क कि कु घ ड छ के को इ। हि हु हे हो ड डि डु डे डो। म मि भु मे मो ट टि टु टे। टोप पि पू प ण ठ पे पो। र रि रु रे रो त ति तु ते। तो न नि नु ने नो या यि यु। ये यो भ भि भ धा फा भा भे। भोज जि जु जे खम्बु खो गि जो खि ख ग । गु गे गो स सि मु मे मो द। दिदृश मा दे दां च त्रि। तुला वृश्चिक ५-१८ ५-३१ मारः ५-१० ४-७ मानः १२५१

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