Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

View full book text
Previous | Next

Page 357
________________ x १० ११० राग्यफ शान मान रपी हायो को वश में करने के लिए मिह को समान है। योग-१ विकुंभ २ प्रीति ३ आयु० ४ सौभाग्य ५ शोभन ६ अतिगंड ७ सुकर्मा ८ ति ६ शूल १० गंड ११ वृद्धि १२ ध्रव १३ व्याघात १४ हर्षण १५ वज्र १६ सिद्धि १७ व्यतिपात १८ वारियान १६ परिघ २० शिव २१ सिद्ध २२ साध्य २३ शुभ २४ शक्ल २५ ब्रह्मा २६ ऐन्द्र २७ वधृति फल नामानुरूप-प्रथम घड़ी अशुभोवी छोड़ना । ___मोजि० मृग, रेवति, श्रवण, घनिष्ठा, हस्त, स्वाती, चित्रा, पुष्य, अश्विनी, पुनर्वसु० करं। दिशाशूल ले जावे वामे, राहु योगिनी पूठ । सन्मुख लेवे चन्द्रमा, ल्यावे लक्ष्मी लूट ॥ "ईशान्य".."चन्द्र.."मेष-सिह-पूर्व......."धन..."अग्नि.... : १७ - १५ १४ ३०/८ योगिनी. १/ ३/११ : ..........."शनिवार""""शुक्र".." काल----राहु "चन्द्र"""""""शनि" : ......"उत्तर........."मीन......" ...."कर्क...."श्चि २/१० 'वृषभ..."कन्या..."दक्षिण....."मकर' ४/१३ २१ दिशा शूल sical ___Manty बुध"मंगल ............. । .............. ............ ba26/ ........ ....... ...... .... . .... ...................... ...bahie...... ......Bedy..................... गद्ध पूज्य रवि-54/१०११ १/२/५/७/६ गुर-२५७/६/११ १/३/६/१० चन्द्र-१ /५/८/७/६/१०/११ १२ ... अशुद्ध ४/८/१२ ४/८/१२ ४८ १२५३]

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381