Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

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Page 358
________________ सम्यग्ज्ञान आपथारूपी मेघो को उठाने के लिये पवन के समान हैं। WMWAM दिन का चौघड़िया घड़ी | रवि० । चन्द्र । मंगल | बुध गुरु | शुक्र, शनि - - - शुभ काल रोग उद्वेग ३॥ | उद्वेग | अमृत चल लाभ अमृत लाभ अमृत काल रोग शुभ रोग चल लाभ | अमृत | काल FEEEEEEEE लाभ शुभ चल उद्वेग FEEEEEEE काल शुभ चल काल लाभ रोग रोग लाभ उद्वेग काल लाभ | शुभ । शुभ उद्वेग | अमृत | रोग चल रात्रि का चौघड़िया घड़ी रवि | सोम शनि ३१॥ अमृत रोग ३ काल लाभ ॥ लाभ उद्वेग | शुभ | अमृत गल रोग । लाभ काल उद्वेग काल उद्वेग चल | रोग ३॥ अमृत । लाभ शुभ उद्वेग अमृत शुभ चल उदग | अमृत । रोग काल लाभ

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