Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

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Page 356
________________ सम्यक् ज्ञान कामरूपी सर्प को कोलने के लिए मंत्र के समान है। करण तिथि में २ फल-१ किंतुघ्न, २ वव, ३ वालव, ४ कौलव, ५ तेतील, ६ गरज, ७ वाणिज्य, ८ विष्ट ६ शकुनि, १० चतुष्पाद, ११ नाग। योगों के नाम | रवि० | चद्र० । मंग० | बुध० | गुरु० शुक्र० । शनि० फल | - श. सिद्ध. आनद, कालंदं. धूम्न. प्रजाप. सौम्य. ध्वाक्ष म. भ. कृ. रो. मृ. आ. म. आ. पु. पु. आ. म. पू. उ. मृत्यु. असुख. आ. ह. म. चि. पू. स्वा. उ. पि. ह. अ. चि. जे. स्वा. म. वि पू. अ. जे. मू. पू. उ. अ. श्र.. ध. उ. अ. श्र. ध । श. पू. biberor or a true to सौभाग्य. महासी. धनक्षय. सीमा. ध्वज. श्रीवत्स. सौख्य. बज. क्षय. मुद्वर श्रीनाश. छत्र. E Ethnid E नत्र 4 4 44..4244.4.4.4.4 2424N boj bi राजस. पुष्टि अ. मृ. मानस. पद्य लवक ANANA.4.444444444444 सौभाग्य. धनलाभ धननाश उत्पात bébi m प्राणनाश. मत्य मृत्यु. काण. सिद्धि. शुभ. Ft 4 4 4 e d AA 4.0.4 244.4.4.4.4 2924NNA अमृत मुसल. गदाख्य . 24.45an.42444 क्लेश कार्य सि कल्याण. राजस धन नाश. अविद्या. कुल वृद्धि महा कप्ट. कार्यसिद्धि मातग 4 राक्षस. घर. आ. ह. BBC bi bilo to स्थिर. वर्धमान. boor गृहारभ. .42 पुष्य. उ. वि. घ. लग्न २५२१

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