Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

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Page 348
________________ जिनवाणी का अभ्यास मोक्ष रूपी लक्ष्मी को दूती है। IS कर्म बन्धादि यंत्र: गुण० संख्या गुण० नाम बंध सं० बध बंध सं० संख्या सख्या पछ. उदय व्यु० -amaANJABE प्रथम मिथ्यात्व ११७ १६ ११७ ५ १४८ ० उपशम सत्ता सत्ता व्यु० १४५ ० २५ ० ० १११६ १०० १४७ ० १७ १४८ १ १ १४७ द्वितीय सासादन १०१ तृतीय सम्यग्मिश्र __७४ चतुर्थ अविरत स० ७७ पंचम देश विरत० ६७ षष्ठ प्रमत्त संयत० ६३ सप्तम अप्रमत्त संय० ५६ अष्टम अपूर्व करण० ५८ नवम अनिवृत्तिक० २२ दशम सूक्ष्मसाम्पराय १७ एकादश उपशान्त कषाय १ द्वादश क्षीण कषाय १ प्रयोदश संयोग केवली १ चतुर्दश अयोग केवली . • non cFn 6 . in नवम १६ ६० १४६ ०क्षपक १४६ ४-१० ६ १४२ . ६ १४२ ० ३६ १ १४२ ० १ २ १४२ - १६ १०१ १६ । ३० ८५ ० १२ ८५ ८५ ० १ . ५७ ४२ १२ eardi [२४४]

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