Book Title: Chandrasagar Smruti Granth
Author(s): Suparshvamati Mataji, Jinendra Prakash Jain
Publisher: Mishrimal Bakliwal

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Page 351
________________ भयानक फाम की दाह ज्ञानोपयोग से शांत हो जाती है। wrimom नक्षत्र विचार नक्षत्रे घ्र व (स्थिर)- उत्तरा फाल्गुनी उत्तराषाढा, उत्तरा - स्थिरं बीजगेहशान्त्या भाद्रपद्रा, रोहिणी व रविवार रामादि सिद्धयति ।। क्रूर (उग्र) – पूर्वा फाल्गुनी, मघा, पूर्वाषाढा, पूर्वा - घाताग्नि शाठ्यानि भाद्रपदा, भरणी व मंगलवार विप शस्त्रादि सिद्धयति चर (चंचल)- श्रवण, धनिष्टा, शततारका पुनर्वसु, - गजादिकारोहो वाटिका स्वाती व चन्द्रवार गमनादिकम् ॥ लघु (निप्र) - अश्विनी, पुष्ज, हस्त, अभिजित व, - त० पण्यरतिज्ञानं भूपागुरुवार शिल्प कलादिकम् ॥ मृदु (मैत्र) - मृग, चित्रा अनुराधा. रेवती व - गीताम्बर क्रीडा मित्र शुक्रवार - कार्य विभूपणम् ।। मिश्र(साधारण)कृतिका, विशाखा व बुधवार • तत्राग्निकार्य मिश्रं च वृपोत्सर्गादि सिद्धयति ।। हे वुधवारचे ।। दारुण (तीक्ष्ण) आर्द्रा, आश्लेषा, ज्येष्ठा, मूल व -अभिचार घातोग्रभेदाः शनिवार पशुदमादिकम् ॥ शुभतिथि - १/२/३/५/७/१०/१२/१३ शुभवार - चन्द्रवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार शुभनक्षत्रे - स्थिर, लघु, मृदु, चर, शुभयोग - नामनुल्य-फन जाणावे शुभकरण - वव, वालव, कौलव, नैतील,

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