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मूढता ही महा निद्रा है।
पोता
५
४
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०
कूला
२४
०
जंघा गोडे से ऊपर गोडा
०
०
गोडा से टिकूण्या
भाग रख तिसको गुलाई त्रिगुणी करें। दोउ पोता पुष्ट आम की गुठली समान करें। बैठक का हाड त्रिकोण प भाग लंबा करै। चौडाई मूलमें ११ भाग मध्यम ६ भाग गोडा के पास ७ भाग करें। दोउ गोडा समान गोल जंघा से मिले हुये पुष्ट बणावै। मूल में गोडा के पास ७ भाग मध्य में ६ भाग टिकण्यां के पास ५ भाग चौडा करै। टिकूण्यां १ भाग रखे चौड़ाई त्रिगुणी करै एड़ो २ भाग प्रमारण कर पग थलो एडी से अंगुष्ठ तक १४ भाग लवी, चौड़ी एडो के पास ४ भाग बीच में ५ भाग पंजे पर ६ भाग बणावै। अंगुष्ट का नख १ भाग प्रमाण करें। अंगुष्ठ से अंगुलियाँ और नख क्रम से घाटि घाटि बरणावै ।
२४
.
४
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टिकण्यां से ऐड़ी तक
अंगुली
३
२
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अंगुष्ठ
३
२
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कुल १०८ भाग खड़गासन प्रतिमा के कल्पना कर उक्त लेखानुसार हर १ अंग प्रत्यंगी नाप करै । और जहाँ नाप नहीं लिखी है वहाँ यथा संभव सुन्दर उत्तमोत्तम वणाना चाहिए। यहाँ १०८वा भाग का ही नाम १ अंगुल है । अंगुल और भाग १ ही
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