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मोहम्पी मन को ना भाग्म अनुभव पो मस्त से जोनी जा सपती है।
॥बंध जदा वर्णन ॥ देवगति आउ आनु पुरवि प्रकृति तीन वैफियक अंग आहारक अंग चार है ।। अजस ये आठी उंचं बंध नीचे उदं देय संज्वलन लोभ-वीना पंद्र को नोहार है ।। हाम रति भ गिलानि नर वेदनर आउ सुक्षम अपर्याप्त साधारण धार है । आताप मिथ्यातमे छब्बीस बंध उदै साथ नीचे बंध उंचे उदे छोयासि विचार है ॥७॥ विकालत्र सूक्ष्म साधारण अपर्यापत नरकगति आनुपूर्वी नरक आव है ।। मिथ्यामाहि लेश्यातीन बांध इकसोसतर नऊ वीना पीतक आठत्तरसी भाव है ।। एपेन्द्रिय थावर ओ आताप ईन तीन बिना पदम एकसी पांच बंध को उपाव है। पशुगति आठ आनुपूरवि उदोत वोना सुकल एकसौ एक बंध पुन्यचाव है ।।
॥ (१४) गुण स्थान मे आयुध । नरक आयु पहिले बंधे चौथे लेह, पशु आउ दूज, बंध, उदै पांचमें कहि ॥ नर आयु चोथे लग बंध उदै चादह लौ, सुरआउ सात बंद उदं चार में लहि ॥ नर पशु जीव नरक पशु नर आउ बंध, चोथेते आगे चढवेकि सक्ति न गहि ॥ चारो आउ तीज गुण थानकमे बंधे नाहि आउ नास भये सिद्ध तिनको वंदी साहि ॥८६॥
॥ उपजम फेंगीत ॥ मिच्या मारग चार, तीन चउ पांच सात भनि ।
द्वितीय एक मिथ्यात तृतीय चौथे पहिलो भनि ।। अग्रत मारग पांच तीन दोय एक सातपन ।
पंचम पंचमु सात चार तिय दोय एक भन । छट्पट एक पंचम अधिक मात आठ नव दस सुनी ।।
निय अघ उरघ चीये मरन ग्यार बार विन दो मुनी ॥६॥ मिश्र लोन संजोग तीनमें मरन न पावै ।
सात आठ नव दसम ग्यार मरि चौथे आवे ।। प्रथम चहूंगति जाय दुतिय विन नरकतीन गति ।।
चौथे पूरव आय बंध ते चहुगति प्रापति ।। पंचम प्यारम मान गुण मने मुग्ग में औतार हैं।
बंदो एक चौदम गण स्थानकानजी अजर अमर पद सिवपद लह ।।६१॥