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प्रमाद और आलस्य आत्मा का वैरी है । श्री प्रतिमा जी खड़गासन वा पद्मासन की नाप की सूचनिका
शरीर के भाग लम्बाई
चौडाई
गोलाई
विशेप खुलासा
१२ १२ केश स्थान दोनो नेत्रों
ठोडी तक
अन्त तक
ललाट के ऊपर १२ भाग में केश स्थान व चोटी रखै अर्थात १० भाग परै २ भाग प्रमाण चोटी का स्थान बणे ललाट से चोटी का स्थान तक क्रम से २ भाग ऊंचाई दिखावै और चोटी के स्थान से पिछाड़ी १० भाग में केश स्थान बरणाव १८ भाग तौ कानो के आगे १४ भाग कानों के पीछे रखे। अर्ध चंद्राकार।
८
ललाट ४ नाक ४
३
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ऊंची शोभनीक ढलाऊ।
कर्ण ६४०
नेत्र
मुह फाड ४ लम्बी होठ २ भाग कानों के ऊपर वत्तिका भंवारे की ऊंचाई के सीध में बीच में करडी नस नेत्र के अन्त को सीध में कर्ण का अन्त भाग मुख की फाड की सीध में बणावे ।। नेत्रों में सफेदी २ भाग श्याम तारा १ भाग रखे विचतारोका गोल o० भाग नेत्र १ भाग मिर्च १ भाग खुला रख भवारे दोनों ४ भाग लम्चे मध्य मोटा मूल में १॥ भाग तीच में २भाग अन्तमें भाग
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३ भंवारे
३
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वाफणी