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गुरुजनों को संगति से उत्तम तप की प्राप्ति होती है। भाव जीव के स्वतत्त्व है । इसलिये कर्म-उपाधि अशुद्ध द्रव्याथिक नय को अपेक्षा आत्मा क्रोधादि भाव वाला है। (२) उत्पाद-व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिक नय
उत्पाद-व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिक नय एक ही समय में उत्पाद-व्यय-धौव्य तीनो को ग्रहण करने वाला यह नय शुद्ध द्रव्यार्थिक नय का विषय मात्र घोव्य है । क्यो कि उत्पाद-व्यय पर्याथिक नय का विषय है । द्रव्य का लक्षण सत है और सत् का लक्षण उत्पाद-व्यय धौव्य है इसलिये द्रव्य का लक्षण उत्पाद-व्यय घोव्य रूप है। किन्तु उत्पाद-व्यय पर्यायाथिक का विषय होने के कारण उत्पाद-व्यय-धौव्यात्मक द्रव्य को अशुद्ध द्रव्य को अशुद्ध द्रव्याथिक नय का विषय कहा है। (३) भेद कल्पना सापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिक नय
यह गुण-गुरिणयो में द्रव्य पर्याय मे भेद ग्रहण करता है। प्रात्म एक अखण्ड द्रव्य है। शुद्ध निश्चय नय की अपेक्षा उसमें भेद नहीं है तथापि यह नय ज्ञान-दर्शन आदि गुणों को कल्पना करता है इसलिये अशुद्ध द्रव्याथिक है । (४) अन्वय सापेक्ष द्रव्यार्थिक नय-- ,
समस्त गुण पर्याय और स्वभाव मे द्रव्य को अन्वय रूप से ग्रहण करने वाला नय अन्वय सापेक्ष द्रव्याथिक नय है । जो सम्पूर्ण गुणो और पर्यायों में से प्रत्येक को द्रव्य बतलाता है वह अन्वय द्रव्याथिक नय है । जैसे कड़े आदि पर्यायों में तथा पीतत्व आदि गुणों में अन्वय रूप से रहने वाला स्वर्ण अथवा मनुष्य देव आदि नाना पर्यायों में यह जीव है। यह जीव है ऐसा अन्वय द्रव्याथिक नय का विपय है।
स्वद्रव्य ग्राहक द्रव्याथिक नय
स्वद्रव्य स्वक्षेत्र स्वकाल स्वभाव की अपेक्षा द्रव्य को अस्ति रूप से ग्रहण करने वाला नय स्वद्रव्यादि ग्राहक द्रव्यार्थिक नय है । यह नय पर द्रव्यादि की विवक्षा न करके स्वद्रव्य-स्वक्षेत्र स्वकाल और स्वभाव को अपेक्षा से द्रव्य के अस्तित्व को ग्रहण करने वाला है। पर द्रव्य ग्राह्य द्रव्याथिक नय
पर द्रव्य पर क्षेत्र-पर काल-परस्वभाव की अपेक्षा द्रव्य नास्ति है। ऐसा वर्णन करने वाला पर द्रव्य ग्राह्य द्रव्यार्थिक नय है।
परम भाव ग्राह्य द्रव्याथिक नय ज्ञान स्वरूप आत्मा है । ऐसा कहना परम भाव ग्राह्य द्रव्यार्थिक नय है। क्यों कि जीव के अनेक स्वभाव में से ज्ञानात्मक परम भाव ग्रहण किया गया है। पर्यायाथिक नय के ६ भेद
(१) अनादि नित्य पर्यायाथिक नय। (४) नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय । (२) सादि नित्य पर्यायार्थिक नयः। (५) नित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय। (३) अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय.। (६) अनित्य अशद्ध पर्यायार्थिक नय ।
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