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भद्रबाहुसंहिता
और संघर्ष होता है।
पौष, आषाढ़, श्रावण, वैशाख और माघ मास में बुध का उदय होना अशुभ एवं आश्विन, कार्तिक और ज्येष्ठ में बुध का उदय होने से शुभ होता है । पूर्व दिशा में बुध का उदय होना अशुभ और पश्चिम दिशा में शुभ माना जाता है। मंगल का शनि की राशि में उदय होना अशुभ माना जाता है और शुक्र, गुरु तथा अपनी राशियों में उदय होना शुभ कहा गया है। कन्या और मिथुन राशि में उदय होना साधारण है। ___ग्रहों के अस्त का विचार करते हुए कहा गया है कि अश्विनी, मृगशिरा, हस्त, रेवती, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा, श्रवण और स्वाति नक्षत्र में शुक्र का अस्त होना इटली, रोम, जापान में भूकम्प का द्योतक; वर्मा, श्याम, चीन और अमेरिका के लिए सुख-शान्ति सूचक तथा रूस और भारत के लिए साधारण शान्तिप्रद होता है । इन नक्षत्रों में शुक्रास्त होने के उपरान्त एक महीने तक अन्न महंगा बिकता है, पश्चात् कुछ सस्ता होता है । घी, तेल, जूट, आदि पदार्थ सस्ते होते हैं । कृतिका, मघा, आश्लेषा, विशाखा, शतभिषा, चित्रा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा और मूल नक्षत्र में शुक्र अस्त हो तो भारत में विग्रह, मुसलिम राष्ट्रों में शान्ति, इंग्लण्ड और अमेरिका में समता, चीन में सुभिक्ष, वर्मा में उत्तम फसल और भारत में साधारण फसल होती है। पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, रोहिणी और भरणी नक्षत्रों में शुक्र का अस्त होना पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, विन्ध्यप्रदेश के लिए सुभिक्षदायक और बंगाल, आसाम तथा बिहार के लिए साधारण सुभिक्षदायक होता है। शुक्र का मध्य रात्रि में अस्त होना तथा आश्लेषा विद्ध मघा नक्षत्र में उदय होना अत्यन्त अशुभकारक माना गया है।
मेष में शनि अस्त हो तो धान्य भाव तेज, वर्षा साधारण, जनता में असन्तोष और आपसी झगड़े होते हैं । वृष राशि में शनि अस्त हो तो पशुओं को कष्ट, देश के पशुधन का विनाश और मनुष्यों में संक्रामक रोग उत्पन्न होते हैं । मिथुन राशि में शनि अस्त हो तो जनता को कष्ट, आपसी द्वेष और अशान्ति होती है । कर्क राशि में शनि अस्त हो तो कपास, सूत, गुड़, चाँदी, घी अत्यन्त महंगे होते हैं। कन्या राशि में शनि के अस्त होने से अच्छी वर्षा; तुला राशि में शनि अस्त हो तो अच्छी वर्षा; वृश्चिक राशि में शनि अस्त हो तो उत्तम फसल; धनु राशि में शनि के अस्त होने से स्त्री-बच्चों को कष्ट, उत्तम वर्षा और उत्तम फसल; मकर राशि में शनि के अस्त होने से सुख, प्रचण्ड पवन, अच्छी फसल, राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन और पशु-धन की वृद्धि; कुम्भ राशि में शनि के अस्त होने से शीत-प्रकोप और पशुओं की हानि एवं मीन राशि में शनि के अस्त होने से अधर्म का प्रचार होता है । सन्ध्याकाल में भरणी नक्षत्र पर शनि का अस्त होना अत्यन्त अशुभ सूचक माना गया है।