Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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( २६ ) ३. पत्रिका संपादन-मई-जुलाई ५२
श्रमण संबोधि Journal of Indian Philosophy
(Member Board of Consulting Editors.) ४. दर्शन अने चिंतन-१-२, १९५७
दर्शन और चिंतन-५७ ५. श्री राजेन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ-५८ ६. पाइयसद्दमहण्णवो (द्वितीय आवृत्ति)- डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल के साथ ७. गुरुदेव श्री रत्नमुनि स्मृति ग्रंथ-१९६४ ८. मुनि श्री हजारीमल स्मृतिग्रन्थ-६५ ९. जैन साहित्यका बृहद् इतिहास भा०-१ २, ६२-७३ १०. जैन धर्मनो प्राण-पं० सुखलाल जी १९६२ ११. नंदी-अनुयोगद्वार सूत्र, ६८ १२. श्री महावीर जैन विद्यालय सुवर्ण महोत्सव ग्रन्थ, १६९८ १३. प्रज्ञापनासूत्र-भाग १, १९६९
" भाग २, १९७१ १४. मुनिश्री पुएयविजयजी श्रद्धांजलि विशेषांक-आत्मानन्द प्रकाश, १९७४ १५. आचार्य श्री आनन्द ऋषि अभिनंदन ग्रन्थ, १९७५ १६. पूज्य गुरुदेव कविवर्य पं० नानचंद्रजी महाराज जन्मशताब्दि स्मृति ग्रंथ (२०३३), १९७७ १७. संस्कृत-प्राकृत जैन व्याकरण और कोशकी परंपरा-महामनस्वी आ० काल ग.णि स्मति
ग्रन्थ, छापर १९७७
व्याख्यान १. जैनधर्म मां विश्वधर्म अने एवां तत्त्वो छे खरां ?-पर्युषण पर्वनी व्याख्यानमाला १९३७ २. जैन अध्ययन की प्रगति-ALOC, Delhi प्राकृत और जैन विभाग के अध्यक्ष पद से व्याख्यान, २८-१२-५७ -जैन सं० सं० मंडल पत्रिका...३३, ५८
Pe.A.IO.C. Delhi १९५७; श्रमण, मार्च ५८ ३. धर्मनी बे जूनी व्याख्या (प्रार्थना समाजमां २१-२-६०)-प्रगट प्रबुद्ध जीवन, १६-७-६० ४. अनेकांतवाद पयुर्षणा व्याख्यानमालानां मुंबई, १९६२- प्रगट प्रबुद्ध जीवन १-३-६३
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