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अनेकान्त/55/1
ये कतिपय प्रमाण यहाँ महावीर की. जन्मभूमि कुण्डलपुर से सम्बन्धित दिए गए हैं अब महावीर के ननिहाल "वैशाली" के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए1. वीरजिणिंदचरिउ ग्रन्थ की पाँचवी सन्धि (पृ. 60) में श्रीपुष्पदंत महाकवि
कहते हैं कि राजा श्रेणिक ने समवसरण में गौतम गणधर से पूछा कि हे भगवन! मुझे उस आर्यिका चन्दना का चरित्र सुनाइए जिसके शरीर में चन्दन की सुगन्ध है तथा जिसने मिथ्यात्वरूपी अन्धकार को दूर कर दिया है। राजा के इस प्रश्न को सुनकर गौतमस्वामी ने कहा कि हे श्रेणिक! मै चन्दना का वृत्तांत कहता हूँ सो सुनो-- सिन्धु-विसइ वइसाली-पुरवरि। घर-सिरि-ओहामिय-सुर-वर-घरि।।
चेडर णाम णरेसरु णिवसइ। देवि अखुद्द सुहद्द महासई॥ अर्थात् सिन्धविषय (नदी प्रधान विदेह नामक प्रदेश) में वैशाली नामक नगर है जहाँ के घर अपनी शोभा से देवों के विमानों की शोभा को भी जीतते हैं। उस नगर में चेटक नामक नरेश्वर निवास करते हैं।
उनकी महारानी महासती सुभद्रा से उनके धनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र, शिवदत्त, हरिदत्त, कम्बोज, कम्पन, प्रयंग, प्रभंजन और प्रभास नामक दस पुत्र उत्पन्न हुए!
उनकी अत्यन्त रूपवती पुत्रियाँ भी हुई, जिनके नाम हैं-प्रियकारिणी, मृगावती. सुप्रभादेवी, प्रभावती, चेलिनी, ज्येष्ठा और चन्दना। इनमें से प्रियकारिणी (त्रिशला) का विवाह श्रेष्ठ नाथवंशी कुण्डलपुर नरेश सिद्धार्थ के साथ कर दिया गया। इसी प्रकार उत्तरपुराण के 75वं पर्व में वर्णन आया है
सिंध्वाख्ये विषये भूभृद्वैशाली नगरेभवत्।
चेटकाख्योतिविख्यातो विनीतः परमार्हतः।।३।। इस ग्रन्थ में भी राजा चेटक के दश पुत्र एवं सात पुत्रियों का कथन करते हुए ग्रन्थकार ने कुण्डलपुर के राजा सिद्धार्थ का वर्णन किया है।
उपर्युक्त प्रमाणों से सहज समझा जा सकता है कि विहार प्रान्त में