Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे दिना तुल्यो भवति, किन्तु 'एगपमयटिइए पोग्गले एगसमयट्ठिइवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालो णो तुल्ले' एकसमयस्थितिकः पुद्गलः एकगमयस्थितिकव्यतिरिक्तस्य पुद्गलस्य कालतः-एकसमयादिना, नो तुल्यो भवति, ‘एवं जाव दससमयहिइए' एवं-रीत्या यावत् द्विसमयस्थितिकः त्रिसमयस्थितिका, चतुःसमयस्थितिका, पश्चसमयस्थितिका, षट्समयस्थिति का सप्तसमयस्थितिकः, अष्टसमयस्थितिका में स्थिति है ऐसा पुद्गल एक समय स्थितिक पुद्गल के काल की अपेक्षा एक समयादि की अपेक्षा से तुल्य होता है, किन्तु जिसकी 'एगसमय हिइए पोग्गले एगसमयहिश्वरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुल्ले' एक समय में स्थिति है ऐसा वही पुद्गल, जिस पुद्गल की स्थिति एक समय से व्यतिरिक्त समय में है उसके तुल्य कालकी अपेक्षा से व्यादिसमयादि की अपेक्षा से तुल्य नहीं होता है । ' एवं जाव दस. समयहिए' इसी प्रकार यावत्-दो समय की स्थितिवाला पुद्गल दो समय की स्थितिवाले पुद्गल के माथ तुल्य काल की अपेक्षा से होता है, तीन समय की स्थितिवाला पुद्गल तीनसमय की स्थितिवाले पुद्गल के साथ तुल्य काल की अपेक्षा से होता है, चार समय की स्थिति वाला पुद्गगल चार समय की स्थितिवाले पुद्गल के साथ तुल्य होता है, पांच समय की स्थितिवाला पुद्गल पांचसमय की स्थितिवाले पुद्गल के साथ काल की अपेक्षा से तुल्य होता है, छह समय की स्थितिवाला पुद्गल ६ समय की स्थितिवाले पुद्गल के साथ काल की अपेक्षा तुल्य પુદ્ગલ, એક સમયની સ્થિતિવાળા બીજા પુદ્ગલની સાથે કાળની अपेक्षा तुझ्यय छे. ५२न्तु " एगसमयटिइए पोग्गले एगसमयठिइवरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ णो तुल्ले " से समयनी स्थितिमा એજ પગલ, એક સમયની જેની સ્થિતિ ન હોય એવા પુદ્ગલની साथै जनी अपेक्षाय- समयाहिनी अपेक्षा-तुझ्यात नथी. "एवं जाव दस समयदिइए" मे प्रमाणे में समयनी स्थितियागु पुस, ये सभयना સ્થિતિવાળા પુદ્ગલની સાથે કાળની અપેક્ષાએ તુલ્ય હોય છે, ત્રણ સમયની સ્થિતિવાળું પુગલ ત્રણ સમયની રિતિવાળા પુદ્ગલ સાથે, ચાર સમયની સ્થિતિવાળું પુદ્દગલ ચાર સમયની સ્થિતિવાળા પુદ્ગલ સાથે, પાંચ સમયની સ્થિતિવાળું પુદ્ગલ પાંચ સમયની સ્થિતિવાળા પુદ્ગલ સાથે, છ સમયની સ્થિતિવાળું પુદ્ગલ છ સમયની સ્થિતિવાળા પુદ્ગલ સાથે, સાત સમયની
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૧